Wednesday, June 3, 2020

केरल : पढ़े लिखे समाज में

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DNA: पढ़े-लिखे ‘जानवरों’ का DNA टेस्ट | Sudhir Chaudhary | Kerala Elephant Story | Analysis | Humans



केरल : पढ़े लिखे समाज में
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मल्लापुरम (केरल )में एक गर्भणी हथनी को किस तरह स्थानीय लोगों ने बेहद की हिंसा करते हुए अपने मनोरंजन के लिए निशाने पर लिया उसकी मार्मिक खबर जिस तरह सुधीर चौधरी साहब ने डीएनए के तहत भारत के लोगों तक पहुंचाई है वह हमारे पर्यावरण के पहरुवे पशु वृन्द के प्रति हमारी ज़वाब देही मांगती है।

क्या यह वही केरल है जहां स्वास्थ्य सेवाएं अव्वल दर्ज़े की हैं जहां की नर्से मेरी तमाम बहन बेटियां  शेष भारत की स्वास्थ्य सेवाओं की नींव बनी सेवा रत हैं। सचमुच यकीन नहीं होता क्योंकि मैंने वहां का जनजीवन अपने इंडियन नेवल एकाडेमी एझिमाला (कन्नूर )प्रवास के दौरान बहुत निकट से देखा है। वहां के बैकवाटर्स में नौका सैर की है। इंडियन नेवल एकाडेमी के गिर्द बीचिज़ की जिस तरह संभाल की गई है वह अपने आप में अ-प्रतिम  है।

आज सुधीर भाई ने जिस तरह से हमारे जंगलात के इन कुदरती प्राणियों का मानवीकरण करते हुए ,इन  जीवों के दर्द को जुबान दी है उस दर्द और संवेदना को मैं शब्दों का जामा नहीं पहना सकता। भले जमातियों से गर्द -आवारा प्राणी कहीं भी और समाज की किसी भी पर्त में हो सकते हैं लेकिन केरल में इस क्रूरतम घटना की पटकथा जिन लोगों ने लिखी है वह जमातियों के कामोदरी रक्तरँगी लेफ्टीयों के चचरे भाई प्रतीत होते हैं।

ये तमाम लोग जो सिर्फ नाभि  से नीचे के संबंधों तक ही सीमित होते नहीं जानते जीवों की प्रजातियों में गजराज का स्थान बुद्धि तत्व में सबसे अग्रणी हैं दूसरे नंबर पर अश्व को रखा जाता है। ये नहीं जानते ऐरावत सामुदायिक प्राणी है समुदाय को समर्पित होता है। वन्य प्राणी जंगली कहलाते हैं लेकिन यहां जंगली का मतलब जंगल वासी ही होता है असभ्य अशालीन या जमाती नहीं होता।पशु बेहद के संवेदनशील पर्यावरण पारितंत्र सचेत प्राणी होते हैं।

अलबत्ता बेहद पढ़े लिखे समाज में केरल के ऐसे लोगों का व्यवहार जो इस मादा हाथी ,एक गर्भणी की ज़िंदगी से खिलवाड़  करते रहे किस श्रेणी में रखा जाए। किसी समाज का नागर बोध सिविलिटी वहां के वासिंदों का महिलाओं के प्रति क्या नज़रिया है पशुजगत के प्रति उनका दृष्टिकोण क्या है इसका पैमाना होता है। इस पैमाने पर हमारे शब्दकोश में शब्दों का टोटा पड़ गया।

केरल के हाथियों के प्रति परम्परागत क्रूर रवैये को आँकड़ों के साथ जिस मानवीय संवेदना के साथ मान्यवर सुधीर जी ने प्रस्तुत किया है वह हमें भी बेहद उदास कर गया पहली मर्तबा उन को खबरे बांचते हुए इतना ग़मगीन देखा है। लगता रहा अब रो पड़ेंगे।
पशु जगत को आपने एक बड़े फलक पर रखा रोचक आंकड़ों और तथ्यों के वजन  के साथ हमेशा की तरह डीएनए प्रतुत किया। प्राणिजगत के अनेक उन पहलुओं से रु -ब -रु करवाया जिनसे हम वाकिफ न थे। गज मुक्ति प्रसंग सिर्फ सनातन धर्म ग्रंथों तक ही सीमित नहीं रहा है गुरुग्रंथ साहब के नौवें महले  तक इसका विस्तार है। उल्लेख है गज प्रसंग (गजेंद्र मुक्ति स्त्रोत )का।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
गज और ग्राह लड़त जल भीतर, लड़त-लड़त गज हार्यो।
जौ भर सूंड ही जल ऊपर तब हरिनाम पुकार्यो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
कृपया यह सेतु देखें :https://hindi.webdunia.com/article/astrology-tantra-mantra-yantra/%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9C-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%97%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0-112082300029_1.htm

संदर्भ -सामिग्री :डीएनए ३ जून २०२०

    https://www.youtube.com/watch?v=hLxGHuKAawg


   

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