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Friday, June 19, 2020

ये मोदी का सचमुच का आलमी प्रबंध है। हर तरफ से इसा भूंडा पिट्टेगा ड्रेगन छटी का दूध याद आ जायेगा

संवित पात्रा जी की प्रेस कॉन्फरेंस पर एक द्रुत प्रतिक्रिया :

 पात्रा जी भैंस के आगे बीन बजाने का कोई फायदा नहीं हैं। हाँ भैंस में भी कुछ अक़्ल होती है इस मंदमति बालक को जिसका विकास अवरुद्ध है इलाज़ की जरूरत है जैसा बीज वैसा फल। सोनिया हिन्दुस्तानी के बारे में क्या कहें ? महिला हैं और भारत में सिविलिटी का स्तर ठीक ठाक है।बस इतना ही के उन्होंने इस बालक को जन्म दिया है।

पात्रा साहब इस  धौंधू राहुल की बॉडी लेंगुएज साइकोटिक है  और इसका बगल बच्चा सुरजा आँखें चुराए है। आप दुखी न हो भारतधर्मी समाज इस पार्टी का मृत्युलेख लिख चुका है।२०२५ दूर नहीं है वक्त पंख लगाके उड़ जाता है मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलाम बौद्धिक भकुवों की तरह।

मोदी जी की सर्वदलीय बैठक :

सर्व -दलीय मीटिंग में आज देश के गद्दारों का पर्दा फाश हो गया। स्वयं महाराष्ट्र में कांग्रेस (कोरोना )के सहयोगी आदरणीय शरद पवार साहब ने जो देश के प्रतिरक्षा मंत्री भी रह चुके हैं -मतिमंद अबुधकुमार राहुल की यह कहकर ऐसे की तैसी कर दी ,यानी डेमोक्रेसी कर दी के राहुल बचकाना सवाल पूछ रहें हैं।

मार्क्सवाद के  गुलाम रक्तरँगी उस दौर की  बात कर रहें हैं जब आलमी नेहरू चीन के साथ चार कबूतर उड़ा कर शांति के स्वयं भू मसीहा बनने की कोशिश कर रहे थे  राग 'पंचशील' गा रहे थे।

आज राग 'पंचशील' सेट्रम खेचरी (सीपीआई -एम् )गा रहें हैं :परस्पर चीन औऱ  हिन्दुस्तान एक दूसरे की सम्प्रभुता का सम्मान  करें।  इतिहासिक तथ्य है भारत के साम्यवादी दल के दो टुकड़े १९६२ के चीनी हमले पर एक पक्ष के चीन का समर्थन करने पर ही हुए थे -सीपीआई ,सीपीआई (एम् ). अब तो कहानी ही और है एक दल के टुकड़े हज़ार हुए कोई यहाँ गिरा कोई वहां गिरा।

पूर्वी सोवियत संघ के घुड़कने के बाद इन्हें मजबूरन भारतीय प्रजातांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में शिरकत करनी पड़ी। वरना ये चुनाव में हिस्सा ही कहाँ लेते थे।

आज भी देश विदेश में शी जिनपिंग की गिरती साख़ ,घटते कद से ये हतप्रभ हैं बेचारे बड़े दुखी हैं। इनसे ज्यादा दुखी वह विषकन्या है जिसे केजीबी का एजंट बतलाया गया था यह मल्लिका -ए -कांग्रेस (कोरोना )देश के टुकड़े करवाने के लिए ही इस देश की राजनीतिक काया पर इम्प्लांट की गई है। ये और इसका मतिमंद बालक जिसकी मानसिक आयु और विकास अवरुद्ध पड़े हैं उदास है चीन की उड़ती हवाइयों पर बॉडी लेंग्वेज पर शी जिनफिंग की।

अभी तो गजराज द्वारा सूंड में लपेट कर ड्रेगन को पटखनी दिया जाना बाकी है।

इब्तिदा -ए -इश्क है रोता है क्या ,
आगे आगे देखिये होता है क्या ?

ये मोदी  का सचमुच का आलमी प्रबंध है। हर तरफ से इसा भूंडा पिट्टेगा ड्रेगन छटी का दूध याद आ जायेगा।

Corona ,Corona Congress ,and china are synonyms no problem ,we shall take them one by one ,thank you patra for pulling them .
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सोनिया हिन्दुस्तानी अब आप यूपीए की प्रेजिडेंट नहीं हैं कोरोना कांग्रेस की कामचलाऊ अध्यक्ष हैं। राहुल बचकाना सवाल पूछते हैं। ज़रा भी सऊर नहीं है इस मतिमंद को -शरद पवार
भारत की तरफ जो आँख उठाएगा ,उसकी आँख निकाल के उसके हाथ में दे देंगे -उद्धव ठाकरे पुत्र बाला साहब ठाकरे।
भारत के दोनों साम्यवादी दल हों या सोनिया कोरोना कांग्रेस प्रतीत होता है ये चीन की स्लीपिंग सेल्स हैं।

सन्दर्भ -सामिग्री :
Corona ,Corona Congress ,and china are synonyms no problem ,we shall take them one by one ,thank you patra for pulling them .

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https://www.youtube.com/watch?v=cSO01xcQ0-o
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Posted by virendra sharma at 12:58 PM No comments:
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Thursday, June 18, 2020

#HindiCheeniByeBye #हिंदी चीनी बॉय बॉय

#HindiCheeniByeBye #हिंदी चीनी बॉय बॉय

गत अमरीकी प्रवास के दौरान मैं ने  सीवीएस फार्मेसी  ,कैन्टन(यूएसए ) से एक पांच डॉलर का बड़ा नेल -कटर लिया था पैरों की उँगलियों के नाखून काटने के लिए। बचपन से कोरियाई नेलकटर ही इस्तेमाल  करते आये थे हिन्दुस्तान में वही मिलता था। ये ऐसा नख-कतरक साबित हुआ जो नख-करतन के दरमियान ही दो भांगों में टूट गया।

किसी सामान की कोई गारंटी नहीं ,बिका हुआ माल  वापस नहीं होगा ,आज नकद कल  उधार दुकानों पे लिखा  देखते -देखते हम बालक से बालिग़ और फिर बुजुर्ग कब हो गए कुछ  पता ही न चला। आज भी कई दुकानों पे ये इबारत मुंह चढ़ के बोलतीं हैं। किसी सामान की कोई गारंटी नहीं। सस्ता और उठाऊ या भरोसे मंद और टिकाऊ फैसला आप को और मुझे करना है।

यकीन मानिये ये चेतावनी ,साफगोई चीनी सामन पे शत -प्रतिशत लागू होती है। उधर अमरीका में रवायत है आप कोई भी सामान ९० दिन के अंदर वापस कर सकतें हैं पूरे पैसे लौटाए जाएंगे।

अब फैसला हमें करना है कोरोना बम के अनुसंधान करता चीन और इसके सामान  से हमारा इतना लगाव है हम इसके बिना रह नहीं सकते ?या फिर ऐसा कुछ भी नहीं है। हम इसे अब और अभी तिलांजली दे सकते हैं। यदि ऐसा है तो फ़ौरन लिखिए ट्वीट करिये फेसबुक पे लिखिए
#हिंदीचीनीबॉयबॉय।

हमारी इस सोच में  आकस्मिक बदलाव की वजह यकायक नहीं बनी है चीन अपनी क्रीप फॉरवर्ड नीति के तहत किसी भी राष्ट्र की सम्प्रभुता को रौंद कर रेंगता हुआ आगे बढ़ता आया है भारत चीन की सीमा एक अ -रेखांकित सीमा है जिसकी कभी पैमाइश ही नहीं की गई है। लाइन आफ एक्चूअल कंट्रोल (एलएसी ) इसे कैसे और क्यों मान लिया जाए।  चीन इसी का फायदा उठाकर तीन कदम आगे बढ़ता रहा है विरोध मिलने पर दो कदम पीछे लौट जाता रहा  है।एक कदम का फायदा इसे होता रहा है। ताइवान ,हांगकांग ,औस्ट्रेलिया अन्य छोटे बड़े मुल्क यूँ ही इसके विरोध में आगे नहीं आये हैं। हदों के पार चला गया है ड्रेगन। आर्थिक बहिष्कार इसे रीढ़विहीना करके छोड़ेगा ,मैं और आप हम एक अरब सैंतीस करोड़ से ऊपर लोग ऐसा कर सकते हैं । फैसला कर लीजिये आइंदा चीनी घटिया सस्ते उठाऊ दिखाऊ ब्रिटिल, भंगुर ,दहनशील , साज़ो सामान को तरजीह नहीं देंगे। दुनिया भर में इसकी पहल हो चुकी है।
इस मिथकीय काल्पनिक ड्रेगन को इसकी कद काठी औकात बताना आज ज़रूरी हो गया है। सहमत हैं तो लिखें :#हिंदीचीनीबायबाय।
नमक हराम है यह मुल्क जो भारत से पंडित जी के शासन काल  से ही भारत की  मेहमान नवाज़ी भोग कर दगा देता रहा है। नेहरू ने ही इसे सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता दिलवाई ,ये एहसान फरामोश सर्वभक्षी क्या जाने।

१९६२ में इसने कितनी ज़मीन भारत की कब्ज़े में ली सब जानते हैं। इसके बाद भी   बारहा  यह इसी नीति पर बढ़ने का दुस्साहस करता रहा है। बरसों से करता आया है।

कर्नल संतोष पे इलाके का सर्वे करने के दौरान जिस प्रकार घात लगाके चीनी फौज ने बखनखे पहन प्राण लेवा हमला किया उनकी निरीक्षण टोली में शामिल अन्य जांबाज़ों को निशाने पे लिया उसके बाद भी यदि हमारा खून नहीं खौलता तो हम भारतीय नहीं है टुकड़ा -टुकड़ा  टुकड़खोर गैंग के समर्थक हैं ,पुरूस्कार लौटाऊ लौटंक के पूजक हैं। जो सुबूत गैंग भी कहलाता है।

गलवां घाटी हमारी है इस ड्रेगन ने जहां तक यह रेंगते रेंगते बढ़ आया था लौटने का वायदा किया था। वायदे पे इसने अमल किया या नहीं बस यही तो देखने गए थे कर्नल संतोष।    


हरे कृष्णा !

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Posted by virendra sharma at 2:29 AM 1 comment:
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