Wednesday, May 27, 2020

नवभारत टाइम्स गोल्ड की पहल: पॉडकास्ट(पहला संस्करण )हम तो हैं पर -देश में बोली क्या बोलें ?सार्थक पहल रहा। बधाई



सन्दर्भ -सामिग्री :नवभारत टाइम्स गोल्ड के पहल (पहला संस्करण )हम तो हैं पर -देश  में बोली क्या  बोलें ?सार्थक पहल रहा। https://navbharattimes.indiatimes.com/navbharatgold/why-is-it-important-to-maintain-the-native-language-and-teaching-the-mother-tongue-to-children-in-a-foreign-country/podcas

पर -देश में अपनी मातृभूमि से दूर कुछ तो अपना सा हो अपने लोग अपनी भाषा तो कुछ अपने पन का एहसास भी हो। अपने अमरीकी प्रवास के दौरान मैंने गुज़िस्तान बरसों में देखा है वहां भारतीय संस्कृति अपने ज्यादा मौलिक रूप में जीवित है। हिन्दू टेम्पिल संस्कृत हिंदी इतर प्रादेशिक भाषाएँ सीखा रहा है। लगभग एक दर्जन से ज्यादा अमरीकी राज्यों में मेरी दस्तक रही है सभी जगह मैंने यही रवायत देखी है देखा यह भी है बच्चे हिंदी जानते भी हैं लेकिन बोलने में झिझकते हैं। माँ बाप घर में हिंदी ही बोल रहें हैं। मेरे अपने बच्चे हैं वहां मैंने भारतीय संस्कृति को वहाँ पल्लवित होते देखा है।अच्छा लगा है। हिंदू टेम्पिल कैन्टन (मिशिगन )से मैंने भगवद गीता के अनेक अंग्रेजी संस्करण खरीदें हैं डेट्रॉइट के इस्कॉन टेम्पिल से भागवद पुराण के सभी बारह अंक खरीदें हैं।
नवभारत टाइम्स गोल्ड की  पहल :पॉडकास्ट (पहला संस्करण )हम तो हैं पर -देश  में बोली क्या  बोलें ?सार्थक पहल रहा। बधाई।  

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